स्वास्थ्य अमला रोकथाम में नाकामयाब, पिछले वर्षो से रोगी इस वर्ष ज्यादा मिले
मंदसौर /गरोठ के शासकीय अस्पताल में पदस्थ डॉ विक्रम चौहान की डेंगू से मौत हो गई डेंगू के लक्षण मिलने के बाद कुछ दिनों से उज्जैन में उनका उपचार चल रहा था स्वास्थ्य अमला डेंगू और स्वाइन फ्लू को रोकने में पूरी तरह से फेल साबित हो रहा है जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था एक चिकित्सक को भी डेंगू से बचा नहीं पाई चिकित्सक की मौत के बाद अब स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं पिछले 5 सालों की तुलना में सबसे ज्यादा डेंगू पॉजिटिव रोगी इस साल मिले हैं इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग इसे रोक नहीं पाया इस साल अब तक 31 रोगी डेंगू पॉजिटिव मिले हैं इनमें से 30 रोगी अक्टूबर-नवंबर एवं दिसंबर के 65 दिनों में ही सामने आए हैं डेंगू तेजी से फैलने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग के अफसर बचाव के लिए कागजों में ही सतर्कता दर्शाते रहे जिले के शासकीय अस्पताल में अभी भी सफाई नहीं है अस्पतालों में मच्छर बीमारियां खेल रही डेंगू स्वाइन फ्लू मलेरिया स्क्रब टायफस जैसे जानलेवा रोगों का सामना करने वाले अस्पताल ही बीमार है इसके बावजूद प्रबंधक गंभीर नहीं ।मंदसौर शहर के निजी नर्सिंग होम में कार्यरत महिला डॉक्टर शैलजा शुक्ला स्वाइन फ्लू संदिग्ध होने के बाद इंदौर बांबे अस्पताल में भर्ती किया गया है आईसीयू में भर्ती हैं उनके स्वाइन फ्लू की जांच रिपोर्ट आने की संभावना है बताया जाता है कि उनका 2 दिन से स्वास्थ्य खराब था गुरुवार को डॉक्टर शुक्ला को तेज बुखार आने के बाद परिजनों उनको इंदौर ले गए वह बांबै अस्पताल में उनको भर्ती कराया गया डॉक्टर शुक्ला के परिजन ने बताया कि स्वास्थ्य में सुधार है उनके खून की सूक्ष्म जांच में एक बैक्टीरिया की मौजूदगी की रिपोर्ट मिली है उसका उपचार चल रहा है उन्हें अभी अति सावधानी रखते हुए वेंटिलेटर पर रखा गया है स्वास्थ्य में लगातार सुधार हो रहा है। मिली जानकारी के अनुसार 2 दिन पूर्व दो स्वाइन फ्लू संदिग्ध मरीजों की जांच रिपोर्ट भोपाल भेजी थी जिनकी जांच रिपोर्ट आज रात तक आ सकती है उल्लेखनीय है कि अभी तक जिले में 11 स्वाइन फ्लू के मरीज सामने आ चुके हैं जिसमें 5 मरीजों की मौत हो चुकी है डॉक्टरों की मानें तो स्वाइन फ्लू का वायरस से अधिक प्रभाव होता है ।