सरवानिया महाराज। गंभीरी नदी के तट पर बसा भगवान गोपाल जी का ग्राम आंकली तहसील जावद का भलेही व्यवस्था की द्रष्टी से मालवा का एक कस्बा है लेकिन यह कस्बा मेवाड़ के शोर्य ,पराक्रम ,त्याग और बलिदान की महान पंरपरा के वंशजों से भरा हुआ है ! धर्म और संस्कृति को आगे बढ़ाने में हमेशा अग्रणी भूमिका निभाने वाले ग्राम आंकली इस बार बारिश की शुरुआत के साथ ही कृष्ण भक्ति काल और प्रेम दिवानी मीराबाई के साथ साथ भक्त प्रहलाद और क्षीरसागर मे शयन को जाने से पहले भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों की अद्भुत कथा के गीतों से गुलजार है !
वन राज्य के राजा ने भगवान ब्रह्मा जी की कई सालों तक की गौर तपस्या से ना जल में न दिन में न रात में न जमीन पर न आसमान में ना अंदर नही बाहर मरने का आज असुर हिरण्यकश्यप को वरदान प्राप्त हो जाता है ! वरदान मिलते ही असुर हिरण्यकश्यप का आंतक राज्य में बड़ने लगा धर्म यज्ञ हवन बंद करवा दिये गए हैं मंदिरों के ताले लगाकर पुजारियों को जैल मे बंद कर दिया है ! पापाचार की गति दिन ब दिन बड़ती जा रही थी और इधर हिरण्यकश्यप के घर भगवान विष्णु की विषेश कृपा द्रष्टि प्राप्त भक्त प्रहलाद जन्म लेते हैं जो अपनी समझ आने के साथ ही भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहते हुए दिन दुःखियों पर दया करनेवाले है !एक तरफ भक्ति फल फुल रही थी तो दुसरी तरफ मौत का खौफ नही रखने वाला राजा हिरण्यकश्यप के पाप का घड़ा भर रहा था ! आख़िर कार एक दिन वो आ गया भगवान विष्णु भगवान नृसिंह जी का अवतार लेकर हिरण्यकश्यप के राजमहल के एक खंभे को फाड़कर प्रकट हुए और हिरण्यकश्यप को महल के दरवाजे के ठीक बीचों बीच अपनी जग्गा पर लेटाकर अपने नाखुनों से पाप का अंत कर दिया ! आकाश में जोर ज़ोर का नांद हुआ और देवताओं ने फुल बरसायें ये सब कथन ग्राम आंकली मे पंवार परिवार द्वारा आयोजित तुलसी विवाह और भागवत कथा के तिसरे दिवस शनिवार को कथा स्थल सांवलिया सदन पर पं. आशोक भारद्वाज जावद ने कहें। इस दौरान भगवान नृसिंह अवतार और हिरण्यकश्यप वध का संजीव चित्रण किया गया जिसमें भगवान ने नृसिंहावतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया !
पंण्डित श्री भारद्वाज ने कहा कि गुरु जानकर करना चाहिए और गुरु का सम्मान करना चाहिए। गुरु का अनादर करनेवाले भक्तों की दशा कैसी होती है इसका भी ध्यान रखना होगा ! शनिवार की कथा में वृतासुर के प्रसंग तथा रावण की लंका में आग लगाने हनुमानजी का प्रंसग और विभिषण के घर में आग नही लगने के पिछे के कारणों पर प्रकाश डाला गया ! सुनाऐ गये ! कथा प्रतिदिन प्रातः 11: बजे से 4: बजे तक चलेगी ! कथा विश्राम 10 जुलाई को होगा तथा 11 जुलाई को तुलसी विवाह होगा जिसके लाभार्थी ठा. कैलाश सिंह पंवार , गजेंद्र सिंह पंवार , हिरेन्द्र सिंह एवं पंवार परिवार है !
आयोजन में ठा.कैलाश सिंह पंवार , शंकर सिंह पंवार , नारायण सिंह शक्तावत बोरखेड़ी , वक्तावरसिंह पंवार , ठा. मदन सिंह पंवार , प्रकाशचंद्र नपावलिया , मांगीलाल नागदा , जगदीश चंद्र मालू , रामनिवास पाटीदार , हेमंत पाराशर , गोविंद पाल , ओमप्रकाश राजकुमार राव , बंशीलाल भट्ट , मोतीलाल तिवारी , गजेंद्र सिंह पंवार , हिरेन्द्रसिंह पंवार , नरेंद्र सिंह पंवार , कल्याणसिंह पंवार , विक्रम सिंह पंवार , उदयसिंह पंवार , शंभुसिंह पंवार, सत्यनारायण सिंह पंवार , विक्रम सिंह पंवार सहित बड़ी संख्या में महिलाओ पुरुषो ने उपस्थित होकर कथा श्रृवण की !